इस खंड में मुहूर्त केसे निकाले जाते है इसके बारेमे देखेंगे ।
आभार
नक्षत्र
नक्षत्र
1. चर(चल) :-स्वाति,श्रेवण,धनिष्ठा और शतभिशा।
2.लघु (क्षिप्रा):- अश्विनि,पुष्य,हस्त और अभिजित्।
3.मृदु(मैत्र):- मृगशीर्ष,चित्रा, अनिराधा और रेवती।
4. ध्रुव(स्थिर) :- रोहिणी,उत्तरा फाल्गुन,उत्तरा षाढा और उत्तरा भाद्र पद्।
5.दारुण(तीक्ष्ण):- आद्रा,आश्लेषा, ज्येष्ठा और मूल्।
6.क्रुर(उग्र):- मघा, पूर्वाषाढा,पूर्व भाद्रपद।
7. मित्र(साधारण):; कृतिका और विषाखा।
विवाह के मुहूर्त में सूर्य/ चंद्र/गुरु के बल के बारेमे
विवाह के मुहूर्त में सूर्य/ चंद्र/गुरु के बाला के बारेमे
सूर्य बार |
चंद्र दुल्हा- दुल्हन |
गुरू दुल्हन |
ग्रह का फल | |
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३-६-१०-११ | ३-६-७-१०-११ | २-५-७-९-११ | शुभ फल | |
१ - २ - ५ – ७ - ९ | १-५-२-६ | १-३-६-१० | पूज्य मध्यम | |
४-८-१२ | ४-८-१२ | ४-८-१२ | अशुभ |
विवाह का मुहूर्त कैसे निकाले
उअतरायण के सूर्य चैत्र मास मै (मिनार्क के बिना)।
1. तिथी:-१/२/३/५/६/७/८/१०/११/१२/१३/१५ इनमे से कोइ भी रखनी चाहिए।
૨. नक्षत्र:-रेवति,मृगशिर्ष, तिनो उतरा, रोहिणी,मघा, अनुराधा, मूल,हस्त इनमे से कोइ भी रखनी चाहिए।
૩. मास:- बैशाख,जेठ,अषाढ,मागशर,फागुन, इनमे से कोइ भी रखनी चाहिए।
उपरोक्त दिए गये सिद्धांतो को देखर बढिया शादी का मूहूर्तनिकालना चाहिए ।
✍ बैशाख मास के विवाह मूहुर्त देखे✍ ज्येष्ठ मास के विवाह मूहुर्त देखे
✍ ज्येष्ठा मास के विवाह मूहुर्त देखे
✍ अषाढ मास के विवाह मूहुर्त देखे
✍ कार्तिक मास के विवाह मूहुर्त देखे
✍ मार्गशिर्षमास के विवाह मूहुर्त देखे
वाग्दान का मुहूर्त
1. नक्षत्र:- धनिष्ठा,कृतिका,श्रवण और तिनो पूर्वा इनमे से कोइ भी होना चाहिए।
बच्चे का नामकरण
बच्चे का नामकरण के बारे मे
1. नक्षत्र:- चित्रा,अनुराधा,मृगशिर्ष,रेवती, रोहिणी,अश्विनी,तिनो उत्तरा, हस्त,पुनर्वसु,श्रवण,धनिष्ठा और शतभिशा इन मेसे कोइ भी नक्षत्र होना चाहिए।
2. दिन:- रविवार,सोमवार,बुधवार,गुरुवार, या शुक्रवार इन दिनो करना चाहए।
इस तरह शुभ मूहूर्त निकालना चहिए।
गोद पराइ के मूहूर्त केसे निकाले
गोद पराइ के मूहूर्त केसे निकाले
1. नक्षत्र :-आद्रा,पुनवर्सु,पुष्य,पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद,मृगशीर्ष,रेवती,श्रवण,हस्त,मूल, पूर्व षाढा और उत्तरषाढा इन मे सए कीसी भी नक्षत्र मे होना चाहिए।
2.दिन:- रविवार,मंगल्वार.गुरुवार इन दिनो मे से कोइ भी दिन रखना चाहिए।
3.तिथि:- ९-१४-३० यह तिथिया नही होनि चाहिए।
इस तरह गोद भाराइ मे उत्तम मूहूर्त निकालना चाहिए।
बच्चे का पहला मुंडन के लिए
बच्चे का मुंडन मूहूर्त
मुंडना के लिए बच्चे का जन्म मास,दिन,नक्षत्र,तिथी, अशुभ तारा,समावर्ष,वद पक्ष,पोष-चैत्र मास और नेष्ठ चंद्र को छोड देने चाहिए
गुरु और शुक्र अस्त न होने चाहिए।
1. ब्राह्मण को रविवार, क्षत्रिय को मंगलवार,और अन्य को शनिवार ना लेने चाहिए।
2. जब माता (बच्चे की) गर्भवती हो तब चैल संस्कार नही करनेचाहिए।
3. ५ (पांच)वर्ष के बालक के लिए कोइभी दोष नही होता।
4.पहला बच्चे का ज्येष्ठ मास मे चौलक्रिया(संस्कार) नही करने चाहिए।
1. सातवे भावमे शुक्र,शनि,सूर्य,मंगल न होने चहिए(एक भी ग्रह)।
2. आठवे भाव मे कोइ भी ग्रहनही होने चाहिए(अपवाद शुक्र है)
3. व्यय भावा मे चंद्रअशुभ न होना चाइए।
बालक को पहलीवार पढाइमे बिठाने के लिए
बालक को पहलीवार पढाइमे बिठाने के लिए मूहूर्त
1.नक्षत्र:-अश्निनी,पुष्य,पुनर्वसु,अनुराधा,आद्रा,श्रवण,हस्त,रेवती,चित्रा,स्वाति इनमे से कोइ नक्षत्र होना चाइए।
2. तिथी:- २-३-५-६-१०-१२ इन तिथीयो मे से होनी चहिए।
૩. दिन:- सोमावार या गुरुवार होने चाहिए।
नए वस्त्र के लिए
वस्त्र के लिए
1. रविवार के दिन नए वस्त्र धारन करने से जल्द ही पुराबे होते है
2. सोमवार के दिन नए कपडे पहनने से कपडे मे नमी रहती है।
3. मंगलवार के दिन नए कपडे पहनने से शोक का सामना करना पड शकता है।
4. बुधवारा के दिन नए वस्त्र धारण करनेसे धन का लाभ होता है।
5. गुरुवारा के दिन नए कपडे पहनने से ज्ञान मिलता है।
6.शुक्रवार के दिन स्नेह मिलता है।
7. शनिवारा के दिन पहनने से गंद्दे रहते है।
बाग बगीचे का मूहूर्त
ध्रुव संज्ञक नक्षत्र,शततारा नक्षत्र,क्षीप्रसंज्ञकनक्षत्र,मृदुसंज्ञक नक्षत्र,विशाखा,मूल, इन नक्षत्र,शुभवारऔर तिथी देखकर बिज बो ने चाहिए
पालतु पशु को बेचना या खरीदने के मूहूर्त
क्षीप्र्नक्षत्र,रेवती,विशाखा, पुनवर्सु,जयेष्ठा,शतभिशा और धनिष्ठा यह नक्षत्र देखने चाहिए।
नए दुकान का मूहूर्त
1.नक्षत्र:- ध्रुवसंज्ञक,क्षीप्रसंज्ञक,मित्रसंज्ञक यह नक्षत्र होने चाहिए।
2.तिथीया:-१-२-३-५-६-७-८-१०-११-१२-१३-१५ यह रखनी चाहिए।
૩. वार:- रवीवार,सोमवार,बुधवार,गुरुवार,शुक्रवार या शनिवार इन दिनो मे कुंभ लग्न को छोडकर सभी अस्से होते है।
जेवर बनाने के मूहूर्त
जेवर बनाने के मूहूर्त
नक्षत्र:- ध्रुवसंज्ञक,क्षीप्रसंज्ञक चरसंज्ञक नक्षत्र,शुभवार मे तिपुष्कर योगा मे जेवर बनाने चाहिए।
नोंध:- जब सूर्य विशाखा नक्षत्रमे भ्रमण करत हो और चंद्र कृतिका नक्षत्र भ्रमण करता हो तब पुष्करयोग होता है।
गांव के साथ लेनदेन
गांव के साथ लेनदेन
1. घरके मालिक के नाम की राशी से शुरू होकर गांव (शहर) की रासी 2-5-9-10- या 11वीं हो तो अच्छा है।
2.घर के मालिक की नाम राशी से शरू करके शहर या गाव की राशी १ या ७ निकले तो 0 जाननी चाहिए।
3.घर के मालिक की नामराशी से शरू करके गाव या शहर की राशी यदी ३ या ६ निकले तो हानि जानिए।
4.घर के माकिल की राशीसे गाव या शहर की राशी यदी ४-८ या १२ निकले तो रोगा कारक जानिए।
कुआ बनाने का मूहूर्त
कुआ बनाने का मूहूर्त
नक्षत्र :- ध्रुवसंज्ञक नक्षत्र, अनुराधा,हस्त,धनिष्ठा,शतभिशा,मघा,पूर्वषाढा,रेवती,पुष्य,और मृगशिर्ष हय नक्षत्र होने चाहिए।
चंद्र जब जलराशी ( कर्क-वृश्विक-मीन) हो तब करना चहिए।
पृथ्वी सुप्तादि जाननेकी रीत
पृथ्वी सुप्तादि जाननेकी रीत
1. शुक्ल पक्षकी प्रथमास से मूहूर्त की तिथी तक गीनिए।
2. रविवार से मूहूर्त की वार तक गीनिए।
3. अश्विनि नक्षत्र से मूहूर्त की नक्षत्र तक गीनिए।
4. अब यह तिनो के योग करके चार से भागा किजिए यदि...
1. एक शेष रहती है तब पृथ्वी कए खडी जानिए ।
2. दो शेष रहती हो तब पृथ्वी को बेठी हुइ जानिए।
3. तिन शेष रहने पर पृथ्वी को शयन(सोइहुइ)
4. शोन्य(0) शेष रहेनेपर पृथ्वी को जागृत जानिए।
फल:-
खडी और जागृत पृथ्वी का मूहूर्त मकान बनाने के लिये न लेनी चाहिए।
सोइ हुइ कुआ या जलाशय बनाने के लिए उत्तम होती है।
गांव के साथ लेनदेन
गांव के साथ लेनदेन
1. घरके मालिक के नाम की राशी से शुरू होकर गांव (शहर) की रासी 2-5-9-10- या 11वीं हो तो अच्छा है।
2.घर के मालिक की नाम राशी से शरू करके शहर या गाव की राशी १ या ७ निकले तो 0 जाननी चाहिए।
3.घर के मालिक की नामराशी से शरू करके गाव या शहर की राशी यदी ३ या ६ निकले तो हानि जानिए।
4.घर के माकिल की राशीसे गाव या शहर की राशी यदी ४-८ या १२ निकले तो रोगा कारक जानिए।
पृथ्वी सुप्तादि जाननेकी रीत
पृथ्वी सुप्तादि जाननेकी रीत
1. शुक्ल पक्षकी प्रथमास से मूहूर्त की तिथी तक गीनिए।
2. रविवार से मूहूर्त की वार तक गीनिए।
3. अश्विनि नक्षत्र से मूहूर्त की नक्षत्र तक गीनिए।
4. अब यह तिनो के योग करके चार से भागा किजिए यदि...
1. एक शेष रहती है तब पृथ्वी कए खडी जानिए ।
2. दो शेष रहती हो तब पृथ्वी को बेठी हुइ जानिए।
3. तिन शेष रहने पर पृथ्वी को शयन(सोइहुइ)
4. शोन्य(0) शेष रहेनेपर पृथ्वी को जागृत जानिए।
फल:-
खडी और जागृत पृथ्वी का मूहूर्त मकान बनाने के लिये न लेनी चाहिए।
सोइ हुइ कुआ या जलाशय बनाने के लिए उत्तम होती है।
मकान बनाके उदघातन के लिए मूहूर्त।
नक्षत्र:- मृगशिर्ष,पुष्य,हस्त,चित्रा,स्वाति,रोहिणी,अनुराधा,धनिष्ठा,शतभिशा,रेवती,तिनो उत्तरा।
मास:- मागशिर्ष,पोष,फाल्गुन,बैषाख,श्रवण्।
वार:- सोमवार,बुधवार,गुरुवार,शनिवार और शुभ तिथीओ का विचार करना चैए।
इस तरह नक्षत्र,मास,वार,एवम तिथीया ध्याम मे लेकर उत्तम मूहूर्तनिकालना चाहिए।
शेषनागा का शिर केसे देखे
शेषनागा का शिर देखने की रीत
कार्तिक मास,भाद्र मास,आसो मास मे शेषनाग का शिर पूर्व की ओर होता है।
मागशिर,पोष और महा मास मे शेषनाग का शिर दक्षिण की ओर होता है।
फाल्गुनमास ,चैत्रमास और बैशाखमास मास मे शेषनाग का शिर पश्विम की ओर होता है।
ज्येष्ठ मास ,अषाढ मास और श्रावण मास मे शेषनाग का शिर उत्तर की ओर होता है।
फल:-
यदी खातमूहूर्त शेषनागा के सिर पर हो तब मृत्यु का सामना करना पडा शकता है।
यदी खातमूहूर्त शेषनागा के पीठ पर हो तब स्त्री-पुत्र पर शंकट रहता है।
यदी खातमूहूर्त शेषनागा के जंघा पर हो तब घन की हानि होती रहती है।
यदी खातमूहूर्त शेषनागा के सिर पर हो तब मृत्यु का सामना करना पडा शकता है। यदी खातमूहूर्त शेषनागा के उपरी भाग पर हो तो यह सर्व शुभफल दाइ होती है।
पशु के क्रय विक्रय के बाबतमे(खरीदनाऔर बेचना)
पशु के क्रय विक्रय के मूहूर्त केसे निकाले
क्षिप्रा नक्षत्रो मे ,रेवती,विशाखा,पुनर्वसु,जयेष्ठा,शतभिशा और धनिष्तःआ इन नक्षत्रोमे पशु बेचे और खरीदे ।
दरवाजा डालने के लिए मूहूर्त
दरवाजा डालने के लिए मूहूर्त
स्वाति,रेवती,श्रवण,हस्त,अश्विनी,मृगशीर्ष,तिनो उत्तरा,रोहिणी,पुष्य अय नक्षत्र उत्तम होते है।
तारा निकालने के लिए(मकान और घर मालिक)
तारा निकालने के लिए
घरके मालिका का जन्म नक्षत्रसे गीनकर मकान के नक्षत्र्तक गीने। जो गुना मिलता है उसे ९(नैव) से भाग दे जोबी शेष निकले उसे तारा जान ले।
फल:-
यदी १ शेष रहती हो तब शांता जो श्रेष्ठ
यदि २ शेष रहती हो तब मनोहरा जो श्रेष्ठ
यदी ३ शेष रहती हो तब कृरा
यदी ४ शेष रहती हो तब विजया जो श्रेष्ठ
यदी ५ शेष रहती हो तब कुमोदभाव
यदी ५ शेष रहती हो तब पद्मिनी जो श्रेष्ठ
यदी ७ शेष रहती हो तब राक्षसी
यदी ८ शेष रहती हो तब बाला जो श्रेष्ठ
यदी ९ शेष रहती हो तब स्मृता जो श्रेष्ठ
क्षत्र्फल को ८ से भाका करे जो भागफल निकलता है उसे २७ से फीर से भागा करे और जोभी शेष निकल ती है वह मकान(घर) का नक्षत्र जाने।