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प्रश्न सिद्धांत

Accoridan

आप हमसे संपर्क करके अपने किसी भी प्रश्न को हल कर सकते हैं, अपनी सटीक तिथि, समय और जन्म स्थान बताकर कुंडली बना सकते हैं और अपनी कुंडली का विश्लेषण कर सकते हैं।

इस लेख प्रश्न ज्योतिष के कुस सिद्धांतो के बारे मे दिया गया है जेसे की मूक प्रश्न से चरित्र के बारेमै, धातु के बारेमै, शादी के बारेमे , प्रश्न ज्योतिष के माध्यम से वास्तु दोष केसे देखे आदी के बारेमे इस लेख मे बताया गया है। जो वांचको के ज्ञान मे वृद्धी करेगा।

आभार

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विशेष लेख

निम्नलिखित सिद्धांतों से पूछताछकर्ता के दृष्टिकोण को जानने के लिए:


1.यदि चंद्र लग्न स्थानमे हो , शनि (१-४-७-१०)में और बुध अस्त हो तो आया हुवा पृच्छक कपट करने वाला जानना चाहिए। .
2. यदि चंद्र लग्न स्थानमे हो और बुध और मंगल दोनों से दृष्ट हो तो आया हुवा पृच्छक कपट करने वाला जानना चाहिए।
3.यदि सप्तमेश गुरु हो ,बुध या शुक्र,शनि, राहु या केतु से दृष्ट हो तो आया हुवा पृच्छक कपट करने वाला जानना चाहिए। .
4.केंद्र स्थान पर अधिक पाप ग्रह हो तो आया हुवा पृच्छक कपट करने वाला जानना चाहिए। .
इस प्रकार, यदि उपरोक्त सिद्धांतों में से किसी एक को लागू किया जाता है, आया हुवा पृच्छक इस शास्त्र में एक अविश्वासी और एक पाखंडी है।


मूक प्रश्न

मूक प्रश्न कैसे जाने


1.0.प्रश्न कुण्डलीमे जिस भावमे अधिक ग्रह होंगे उस भाव के संबंधमें प्रश्न होते है
1.2.प्रश्न कुण्डलीमे जिस भावमे अधिक बलशाली चंद्र या लग्नेश जो होगा उस भाव के संबंधमें प्रश्न होते है
1.3.प्रश्न कुण्डलीमे जिस भावमे चंद्र या होगा उस भाव के संबंधमें प्रश्न होते है
साथ ही प्रश्न कुंडली के विभिन्न मूल्यों पर ग्रह से उत्पन्न होने वाले मौन प्रश्नों को जाना जा सकता है जो इस प्रकार है।.


सूर्य
1.पाखंडी व्यक्ति,
3.पुत्रकी ,
4.कुटुम्बकी ,
6.मार्ग की ,
7.सम्पति की,
8.नौका की,
9.शहर में रहने वाले मनुष्यकी ,
10.सरकारी कार्य की ,
11.इनकम टेक्सकी ,
12.शत्रु की

चंद्र
1.धन की ,
2.पैसो की वजह से लड़ाई की ,
3.वर्षा की,
4.माता की,
5.पुत्र की ,
6.स्त्री की,
7.સ્ત્રस्त्री की,
8.भोजन की,
9.ट्रांसफर की ,
10.बुरे लोगो की ,
11.हवन की ,
12.चोरी हुए चीज की .

मंगल
1.लड़ाई की,
2.नुकशान पाया हुवा धन की ,
3.भाई या मित्र की,
4.पशु लेन-देनकी,
5.क्रोधित व्यक्तिके भय की ,
6.सोना,चांदी , अग्नि की
7.सेवक की ,
8.मंदिर की ,
9.राह की ,
10.विवाह या मुकदमा की ,
11.शत्रु बढ़ने की ,
12.शत्रु के द्वारा होने वाला अहित की .

< b style="color:green; font-size:18px;">बुध
1.सुख की ,
2.विध्या की,
3.भाई बहन की ,
4.खेत या बगीचा की ,
5.संतान की ,
6.गुप्त कार्य की ,
7.अफसर के हुक्क की,
8.पक्षी या दंड की ,
9.धार्मिक कार्य की ,
10.કकथा सुनने की ,
11.धन प्राप्ति की,
12.घरेलु लड़ाई की.

ગુરૂ
1.चिंता का विघटन,
2.भोग उपभोग की ી,
3.स्वजनकी,
4.भाई की शादी की ,
5.पुत्र के स्नेह और उसकी शादी की ી,
6.पत्नी के गर्भ की ,
7.धन प्राप्ति की ,
8.कंजूस को दिया हुवा धन प्राप्त की ,
9.संपत्ति या धन की ,
10.मित्र के साथ झगड़े की ,
11.सुख की ,
12.यश की .

शुक्र
1. नृत्य, संगीत, वासना, जैसे विषय
2. पैसा, कपड़े, रत्न जैसी चीजें,
3. महिला का गर्भ,
4. विवाह,
5. गर्भवती महिला,
6 .---,
7. एक महिला प्राप्त करना,
8. स्त्रीलिंग,
9. रोगी
10. अच्छे कर्म,
11. व्यापार,
12. दैवीय बात।

शनि
1. रोगी,
2. लड़कों की पढ़ाई,
3. भाई की नसें,
4. स्त्रीलिंग,
5. व्यक्ति का कार्य,
6. व्यभिचारी महिला,
7. वाहन,
8. मृत्यु,
9. बदनाम होने के लिए,
10. बदसूरत काम,
11 .---,
12. शत्रुओं का,



मूक -2 मन में चरित्र के बारे में


जाति के संबंध में।...


1. शुक्र या गुरु बलवान होकर लग्न या लग्न को देखता है तो ब्राह्मण की जाति जानें
2. यदि मंगल या सूर्य बलवान होकर लग्न या लग्न को देखता है तो जानिए क्षत्रिय वर्ण
3. चन्द्रमा प्रबल होकर लग्न या लग्न देखे तो वैश्य वर्ण जानो
4. यदि बुध बली होकर लग्न या लग्न को देखता है तो शूद्र वर्ण को जानो
5. यदि शनि या राहु बलवान होकर लग्न या लग्न को देखता है तो जानिए अंतिम दौड़।


चरित्र के संदर्भ में...


1.0.सूर्य या शुक्र, इन में से एक भी ग्रह अस्त या वक्र होने पर कोई अन्य स्त्री या पुरुष की चिंता है।
1.1. यदि लग्न में या लग्नेश को शनि या बुध पूर्ण दृष्टी से देखता हो तो नपुसंक पात्र की चिंता होती है।
1.2.चंद्र या शुक्र इन में से कोई एक भी ग्रह लग्नेश होकर लग्नस्थ या लग्न को पूर्ण दृष्टी से देखे तो कोई स्त्री पात्र चिंता होती है ।
1.3. सूर्य, मंगल या गुरु इन में से एक या तीनो लग्न में या लग्न को पूर्ण दृष्टी देखे तो पुरुष पात्र की चिंता होती है।

अवस्था के बारे मे।...


1.0 मंगल 4 भाव का स्वामी बनाकर 4 भाव मे या चौथे भाव पर दृष्टी डाले तो युवा अवस्था होती ह।
1.1.बुध 4 भाव का स्वामी बनाकर 4 भाव मे या चौथे भाव पर दृष्टी डाले तो बालक अवस्था होती ह।.
1.2.चंद्र या शुक्र 4 भाव का स्वामी बनाकर 4 भाव मे या चौथे भाव पर दृष्टी डाले तो किशोर अवस्था होती ह।
1.3.शनि,सूर्य,गुरु अथवा राहु 4 भाव का स्वामी बनाकर ४ भाव मे या चौथे भाव पर दृष्टी डाले तो वृद्ध अवस्था होती ह।

शरीर रचना के संबंध में...


1.0. यदि सूर्य बलवान और लग्न में हो तो मधु पीली आंखें, लंबा चौड़ा शरीर, गड्ढा आकृति और नीच बोलने वाला ज्ञात होगा।
1.1.यदि चंद्रमा बलवान हो और लग्न में हो, पतली गोल शरीर आकृति, सुंदर आंखें, मृदु वाणी और बुद्धि में ज्ञान हो।
1.2. यदि मंगल बलवान और लग्न में हो तो क्रूर दृष्टि, उदार आत्मा, चंचल स्वभाव, पतली कमर और पित्त प्रकृति का पता चलेगा।
1.3. यदि बुध बलवान होकर लग्न में हो तो बातूनी, मुस्कुराते हुए, बातूनी स्वभाव की पहचान होगी।
1.4.यदि बृहस्पति बलवान और विवाहित हो तो पीले बाल, पीली आंखें, धर्मबुद्धि और कफ प्रकृति को जानना चाहिए।
1.5. यदि शुक्र बलवान और लग्न में हो तो आपका शरीर सुंदर, स्वस्थ, घुंघराले बाल और कफ-वात स्वभाव का होगा।
1.6. शनि बलवान और लग्नेश हो तो आलसी, पीली आंखें, पतला शरीर, बड़े दांत, सूखे बाल, लंबा शरीर और जानने वाली बातें।


मूक प्रश्न-3 धातु की चिंता


धातु की चिंता


1. यह समझने के लिए कि शुक्र चंद्रमा है या चांदी की धातु (यदि लग्न या लग्न में दृष्टि हो)।
2.बुध सोने की धातु है (यदि लग्न या लग्न में दृष्टि हो)।
3.बृहस्पति को रत्नों की धातु को समझना (यदि लग्न या लग्न में दृष्टि हो)।
4. यह समझने के लिए कि मंगल सीसे की धातु है (यदि लग्न या लग्न पर दृष्टि हो)।
5. यदि शनि लोहे की धातु है (यदि लग्न या लग्न की दृष्टि हो)।
6. राहु का अर्थ है हड्डी की धातु (यदि लग्न या लग्न में हो)।


अंग की धातु पर विचार करें।


1. यदि मिथुन (3), कन्या (6), तुला (7) या धनु (9) का कोई लग्न है, तो सिर के आभूषण पर विचार करें।
2. यदि शनि लग्न में या उस पर दृष्टि रखते हैं, तो कान या पैर के आभूषणों पर विचार करें।
3. यदि सूर्य लग्न या उस पर दृष्टि डालता है, तो नाक के आभूषणों पर विचार करें।
4. यदि चन्द्रमा की दृष्टि लग्न या उस पर हो तो गले के आभूषण के बारे में सोचना चाहिए।
5. गुरु की दृष्टि लग्न पर हो या लग रही हो तो कमर के आभूषणों पर विचार करें।


मूक प्रश्न- 4 फायदा होगा या नहीं

लाभ जैसे प्रश्न का उत्तर देने के लिए निम्नलिखित की ठीक से जांच की जानी चाहिए:


शुभ फल के बारे मे


1.0 लग्नेश का विचार....
1.1 लग्नेश शिर्षोदय राशी का हो तब शुभ फलदाइ होता है।
1.2. लग्नेश केंद्र या त्रिकोण स्थान मे हो तब शुभ फलदाइ होता है।
1.3. लग्नेश शुभ ग्रह का हो तब शुभ फलदाइ होता है।.
1.4. लग्नेश शुभ ग्रह की युति या द्रष्टी मे हो तब शुभ फलदाइ होता है।


2. कार्येश के बारे मे


2.1. कार्येश केंद्र या त्रिकोण स्थान मे हो तब शुभ फलदाइ होता है।
2.2. कार्येश शुभ ग्रह हो तब शुभ फलदाइ होता है।
2.3. कार्येश शुभ ग्रह की युति या शुभ ग्रह की दृष्टी मे हो तब शुभ फलदाइ होता है।

अशुभ फल के बारे मे



1.0 लग्नेश या कार्येश पापग्रह के प्रभाव या संबंध मे हो तब अशुभ फलदाई होता है ।
2. लग्नेश या कार्येश ३,६,८,१२, इन भावो मे बेठा हो तब अशुभ फलदाई होता है ।
3. लग्नेश या कार्येश नीच राशी या अस्त बन रहा हो तब अशुभ फलदाई होता है ।
4. लग्नेश या कार्येश पृष्टोदय राशी(१-२-४-९-१०) का हो तब अशुभ फलदाई होता है ।


उदारण


प्रश्न कुंडली के मध्यम से शेर बाजार मे निवेश के बारेमे


1.शेर बाजार के लिए कुंडली का पंचम भाव देखे वह कितना शुभ है।
2. लग्नेश शिर्शोदय राशी(५-६-७-८-११) का है तो शुभ ।
3. कार्येश और लग्नेश केंद्र या त्रिकोण मे शुभ होकर बेठे हुवे हिने चाहिए ।
4. लग्न या लग्नेश अथवा कार्येश या पंचमभाव किसी भी तरह शुभग्रह से संबंध बना रहे है ।
5. यदी कार्येश या लग्नेशत्रिकस्थान(६-८-१२) इन भाव के साथ संबंध ना होना चाहिए
6.लग्न या लग्नेश अथवा कार्येश या पंचम भाव कीसीभी तरह पापग्रह के संबंध मे न आने चाहिए।


नोंध


- ५-६-७-८-११ शिर्षदय राशीया (शुभ)
-१-२-४-९-१० पृष्टोदय राशिया (अशुभ)
-३-१२ उभयोदय राशिया(मिश्र फल)
-कार्येश यानी जिस भावा के संबंध से प्रश्न किया गया हो उस भाव के भावेश के कार्येश कहते है।


खोई या चोरी हुई वस्तुओं के संबंध में

चोरी की वस्तु



नक्षत्र

काना नक्षत्र 1. अश्विनी 2. मृगशीर्ष 3. अश्लेषा 4. हस्त 5. अनुराधा 6. उत्तर शाध 7. शतभिषा
चिभदा नक्षत्र 1. भरना 2. आद्रा 3. शहद 4. चित्रा 5. ज्येष्ठ 6. पूर्व भाद्रपद
दर्शनीय (सलाह) नक्षत्र 1. कृतिका 2. पुररवसु 3. पी फाल्गुनी 4. स्वाति 5. मूल 6. श्रवण 7. उत्तर भद्र पद
अंध नक्षत्र 1. रोहिणी 2. पुष्य 3. उत्तर फाल्गुनी 4. विशाखा 5. पूर्वाषाढ़ा 6. धनिष्ठा 7. रेवती


खोई हुई वस्तु बरामद


1. 1. रोहिणी 2. पुष्य 3. उत्तर फाल्गुनी 4. विशाखा 5. पूर्वाषाढ़ा 6. धनिष्ठा 7. इन नक्षत्रों में रेवती जल्द मिलेगी चोरी की वस्तु
2. 1. अश्विनी 2. मृगशीर्ष 3. अश्लेषा 4. हस्त 5. अनुराधा 6. उत्तर शाध 7. शतभिषा इन नक्षत्रों में प्रयत्न करने से खोई हुई वस्तु मिल सकती है
3. 1. भरना 2. आद्रा 3. शहद 4. चित्रा 5. वरिष्ठता 6. पूर्व भाद्रपद इन नक्षत्रों में खोई हुई चीज बहुत दिनों बाद मिलती है
4. 1. कृतिका 2. पुररवसु 3. पी फाल्गुनी 4. स्वाति 5. मूल 6. श्रावण 7. उत्तर भाद्र पद इन नक्षत्रों में खोई हुई वस्तु नहीं मिलती
कहाँ खोजें
1. यदि लग्न मेष (1) या कर्क (4) या तुला (7) या मकर (10) है तो यह कहीं और पाया जाना चाहिए
2. यदि लग्न वृष (2) या सिंह (5) या वृष (8) या कुम्भ (11) है तो यह घर के अंदर पाया जाना चाहिए
3. यदि लग्न मिथुन(3) या कन्या(6) या धन(9) या मीन(12) है तो इसे घर के आसपास तलाशा जाना चाहिए
4. यदि शुक्र या चंद्रमा लग्न या लग्न में हो तो उस वस्तु को जल में जानना चाहिए
5. बृहस्पति लग्न या लग्न में हो तो देव स्थान में उस वस्तु का ज्ञान होना चाहिए
6. यदि सूर्य लग्न या लग्न में हो तो पाशु स्थान में उस बात का पता चलेगा
7. यदि बुध लग्न में हो या स्वप्न में लग्न का हो तो उस वस्तु को ढेर में जान लेना चाहिए
8. यदि मंगल लग्न में हो या स्वप्न में लग्न में हो तो वह वस्तु बाहर किसी वृक्ष के नीचे जान लेना चाहिए


नक्षत्रों का भी इस्तेमाल


1. लग्न चंद्र और के 1. रोहिणी 2. पुष्य 3. उत्तर फाल्गुनी 4. विशाखा 5. पूर्वाषाढ़ा 6. धनिष्ठा 7. रेवती के इन नक्षत्रों में यदि वस्तु गायब है तो उसे खोजने की दिशा पूर्व जानें
2.10 वे चंद्रमा और 1. अश्विनी 2. मृगशीर्ष 3. अश्लेषा 4. हस्त 5. अनुराधा 6. उत्तर शाध 7. अगर इन नक्षत्रों में शतभिषा नहीं है तो जानिए दक्षिण दिशा
मई 3.7वे चंद्रमा हो और वह 1. भरना 2. आद्रा 3. शहद 4. चित्रा 5. ज्येष्ठ 6. यदि इन नक्षत्रों में पूर्व भाद्रपद गायब हुइ तो पश्चिम दिशा जानें
૪. ४थे चंद्रमा और 1. कृतिका 2. पुररवसु 3. पी फाल्गुनी 4. स्वाति 5. मूल 6. श्रावण 7.उत्तर भाद्र पद इन नक्षत्रोमे गुम हुइ वस्तु उत्तरदिशा की ओर जाने


चोर के चरित्र को कैसे जाने


૧. यदी मेष(१) लग्न हो तब ब्राह्मीण जाने भुमी मे चुपा हुवा मिलता है।
૨. यदी वृषभ(२) लग्न हो तब क्षत्रिय जाने गौशाला मे चुपा हुवा मिलता है।
૩. यदी मिथुन(३) लग्न हो तब वैश्य जाने नृत्यशाला मे चुपा हुवा मिलता है। જો મિથુન (૩) લગ્ન હોય તો વૈશ્ય જાણવો અને નૃત્યશાળા માં ધન રાખે
૪. यदी कर्क(४ ) लग्न हो तब शुद्र जाने जल मे चुपा हुवा मिलता है।
૫. यदी सिंह(५ ) लग्न हो तब अंत्यज जाने भूमि मे चुपा हुवा मिलता है।
૬. यदी कन्या(६ ) लग्न हो तब स्त्री जाने घंटी के पास चुपा हुवा मिलता है।
૭. यदी तुला(७ ) लग्न हो तब पुत्र जाने घर या दुकान पास या फीर जमीन के भीतर चुपा हुवा मिलता है।
૮. यदी वृश्विक(८ ) लग्न हो तब नोकर(सेवक) जाने जमीन के भीतर चुपा हुवा मिलता है।
૯. यदी धन (९ ) लग्न हो तब स्त्री या भाइ जाने जमीन के भीतर चुपा हुवा मिलता है।
૧૦. यदी मकर (१० ) लग्न हो तब वैश्य जाने जल मे चुपा हुवा मिलता है।
૧૧. यदी कुंभ (११ ) लग्न हो तब चुहा जाने घडे मे या फीर जमीन के भीतर चुपा हुवा मिलता है।
૧૨. यदी मीन (१२ ) लग्न हो तब जमीन या फीर खुद कही रखकर भुल जाते है ।


चोरी या खोई हुई वस्तु वापस कब मिलती है


1.अश्विनी और मूल नक्षत्र मे खोइ हुइ ९ दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही ।
2. भरणी,हस्त,विशाखा या श्रवण नक्षत्र मे खोइ हुइ १५ दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही ।
3.कृतिका,रोहिणी, पुष्य,पुनवर्सु,मघा,उत्तरा फाल्गुन,उत्तरा भाद्र पद नक्षत्र मे खोइ हुइ ७ दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही ।
4.मृगशीर्ष और उत्तरा षाढा नक्षत्र मे खि हुइ ३० दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही ।
5. चित्रा,धनिष्ठा और शतारा नक्षत्र मे खुइ हुइ ११ दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही
6. अभिजित नक्षत्र मे खुइ हुइ १२ दिन के भितर मिलती है उस के बाद नही
7.आद्रा,आश्लेषा,पूर्व फाल्गु,स्वाति,ज्येष्ठा,पूर्व षाढा और पूर्व भाद्र पद इन नक्षत्रो मे खोइ हुइ चीज़ वापस मिलती नही है।
8. अनुराधा और रेवती इन नक्षत्र मे खोइ हुइ चीज़ खुब कोशिशे करने से यदी मिल जाती है तो मिल जाती है वरना नही।

वास्तु दोष के बारे मे

वास्तु दोष केसे प्रश्न कुंदलीके माध्यम से जाने


सूर्य पूर्व दिशा के स्वामी है।
गुरु इशान दिशा के स्वामी है।
बुध उत्तर दिशा के स्वामी है।
चंद्र वायव्य दिशा के स्वामी है।
शनि पश्विम दिशा के स्वामी है।
राहु और केतु नैऋत्यदिशा के स्वामी है।
मंगल दक्षिण दक्षिण दिशा के स्वामी है।
शुक्र अग्नि दिशा के स्वामी है।



कुंडली के भावो के माध्यम से


पहला भाव पूर्व दिशा जाने
दुसरा और तिसरा भाव इशान दिशा जाने।
चोथा भाव उत्तर दिशा जाने ।
पंचम और छठ्ठा भाव वायव्य दिशा जाने।
सातवा भाव पश्विम दिशा जाने।
आठवा और नववा भाव नैऋत्यदिशा जाने ।
दशबा भाव दक्षिण दिशा जाने ।
ग्यारवा और बारवाभाव अग्नि दिशा जाने
जब एक से ज्यादा ग्रह केंद्र मे इकठ्ठे हो हो तब केंद्र दोष जाने।



वास्तुदोष केसे निकाले ?


जिस भाव मे ग्रह बलहिन हो तब उस भाव के अंतर्गत वास्तु दोष जाने



उपाय


जिस ग्रह से दोष बन रहा हो तब उस ग्रह के यंत्र को स्थापित करना चाहिए।
अथवा इसी साइट पर दिए हुए वास्तुटीप्स से वास्तु दोष के उपाय करे

शादी के बारेमे

शादि के बारे मे


1 .सप्तमेश (६,८,१२) इन त्रिक भावा मे हो तब बडी विलम्ब से होता है।
2. सप्तमेश पापग्रह हो और उच्च न हो तब बाधा होति है।
૩.सप्तमेश शुभ हो लेकीन निच राशी या पाप ग्रह के साथ या फीर सप्तमेश पर पापग्रह की द्रष्टी हो तब बाधा होति है।
4. सप्तमेश खुद केतु के नक्षत्र (अश्विनी,मघा,मूल) मे हो तब बाधा होति है।
5.सप्तमेश मृतक अवस्थामे(२९ अंश से ०२ अंश तक) हो तब बाधा होति है।
6. शुक्र ६,८,१२ इन भावोमे हो तब बाधा होति है।
7. सप्तम कारक ग्रह केतु के नक्षत्र (अश्विनी,मघा,मूल) मे हो तब बाधा होति है।
8. सप्तम कारक पापग्रह की द्रष्टीमे अथवा पाप कर्तरी मे हो तब बाधा होति है।
9. कीसी भी तरह का कालसर्प योग या शापित दोष बन रहा हो तब बाधा होति है।
10. पति के लिए गुरू और सूर्य की स्थिति देखनी चाहिए और पत्नि कए लिए शुक्र अवम चंद्रमा की स्थिति के बारे मे देखना चाहिए



कुस उपाय


1. यदि बिलम्ब के लिए जो ग्रह जिमेद्दार हो वह ग्रह के मंत्र –जाप या दा करनाचाहिए।
2. कालसर्प योग बना रहा है तब उसकी शांति करानी चाहिए।
3. कोइ भी मन्नते भुल गये हो तो वह पूर्ण करनी चहिए
4.. पित्र(पृतु)दोष हो तब नारायणबली कराना चाहिए।
5. शापितदोष बना रहा हो तब उसका निवारण या शिव उपाशना करनीचाहिए।
6. विषयोग बन रहा हो तब चंद्रमा का मोति (नंग) पहननाचाहिए।
7.चांडालयोग बनरहा हो तब गुरु ग्रह का नंग ग्रहण करना या उपाय करने चाहिए।
8. स्त्री ले बारेमे गुरु बलहिन हो तब गुरु का नग धारण करना चाहिए यदि गुरु सप्तमेश या फीर धनेश न बनना चाहिए यदी बना रहा हो तब
गुरु के जप-मंत्र या दान (मृत न हो) करना चाहिए
9. अनिष्ठयोग बनरहा हो तब उसके उपाय करने चाहिए।
10. शुक्र कीसीभी तरह बिगड(अशुभ) हो रहा हो तब उसकी उपासना करनी चाहिए लेकिन उसका नंग नही पहनना चाहिए।
11. सप्तमेश या शुक्र यदि केतुके नक्षत्र (अश्विनि,मघा,मूल) हो तब केतु के संबंधीत वस्तुए दान-जप या यंत्र की पूजा कअरनी चाहिए।
12. शनि की द्रष्ती सातवे भाव या सप्तमेश पर या फीर शुक्र पर हो तब शनिदेव या हनुमानजी की उपासना करनी कहाहिए।
13.केतु बाधक बना रहा हो तब साइबाबा की उपासना करनी चाहिए।

बाधाए के बारेमे

अब देखते है बाधाए के बारेमे कुस सिद्धांत


नोंध:-

यदि केंद्र या त्रिकोण स्थान मे गुरु या शुक्र या बुध या शुभ चंद्रमा बेठे हो तब या शास्त्र को पृच्छक(पुछने वाला) मानने वाला होता है लेकीन सूर्य या शनि या मंगल या केतु या राहु या अशुभ चंद्रमा हो तब इस शास्त्र को मै विश्वास नही होता है और दुखो को भोगता है ।


૧.वसुरुपाय पित्र(पितृ)दोष/ बाधा :-


८ वे या १२ वे स्थान मे राहु पाप या क्रुर ग्रह की असरमे हो तब यह दोष बहुत उग्र देखने को मिलता है।


ऊपर के रूप में विचार करेंते हुवे


८ वे या १२ वे भावमे हो शुक्र ग्रह हो तब स्त्रीप्रेत जानना चाहिए ( स्त्री का प्रेत बनके आना)
८ वे या १२ वे भावमे हो बुध ग्रह हो तब कइ रूप लेकर प्रेत होते है ।
८ वे या १२ वे भावमे हो चंन्द्रमा हो तब शाकिनी जानना चाहिए


૨. आदित्य पित्र(पितृ)दोष/ बाधा:-


८ वे या १२ वे भावमे हो गुरू बलहिन अथवा राहु के साथ गुरू या शुक्र हो या फीर ८ वे / १२वे शुक्र शुभ द्दष्ट हो तब


૩.‍रूद्ररूपाय पित्र(पितृ)दोष/ बाधा :-


1. मेष लग्न होने पर पित्र(पितृ)दोष/ बाधा जाने
2. सिंह लग्न होने पर पित्र(पितृ)दोष/ बाधा जाने
3. कुंभ या मीन लग्न होने पर वडीलो की वासना(इच्छए) वाले पित्र(पितृ)दोष/ बाधा जाने
4. बुध ८ वे या १२ वे भावमे हो तबभूतो की पीडा या दोष/ बाधा जाने
5. सूर्य ८ वे या १२ वे भावमे हो तब अपने कुलदेव का दोष जाने
6. शनि ८ वे या १२ वे भावमे हो तब उग्रदेवोका दोष/ बाधा जाने
7. मंगल ८ वे या १२ वे भावमे हो तब किसी ने कुस किया होगा एसा जाने


अधिक जानने के लिए आइए जानते हैं मांदी के बारे में जानते है।


यदी मांदी भडक स्थान या त्रिक स्थानमे हो तब प्रेत कोप जानना चाहिए ।

चर राशी (१,४,७,१०) का भडक स्थान ११ वा है।
स्थिर राशी (२,५,८,११) का भडक स्थान ९ वा है।
द्द्विस्वभाव राशी (३,६,९,१५) का भडक स्थान ७ वा है।
त्रिक (खाड्डे) के स्थान ६,८,१२ वे इन तिन स्थानो को कहते है।
प्रश्न या नवमांश कुंडलीमे यदी यह मांदी पुरूषराशी (विषमराशी) मे या सूर्य,मंगल,गुरु अथवा केतु ग्रह के साथ हो तब पुरुष योनी के बारेमे सोचना चाहिए
प्रश्न या नवमांश कुंडलीमे यदी यह मांदी स्त्रीराशी (षमराशी) मे या चंद्र अथवा शुक्र ग्रह के साथ हो तब स्त्री योनी के बारेमे सोचना चाहिए
प्रश्न या नवमांश कुंडलीमे यदी यह मांदी बुध , राहु अथवा शनि ग्रह के साथ हो तब नपुसंक योनी के बारेमे सोचना चाहिए


उम्र के बारे मे


मांदी जिस राशीमे हो उसके अंश को ३ से गुणा करने से अथवा ग्रहो की महादशाओ को ले लिया जा सकता है

सूर्य की महादशा ६ वर्ष
चंद्रमा की महादशा 10 वर्ष
मंगल की महादशा ७ वर्ष
राहु की महादशा १८ वर्ष
गुरू की महादशा १६ वर्ष
शनि की महादशा १९ वर्ष
बुध की महादशा १७ वर्ष
केतु की महादशा ७ वर्ष
शुक्र की महादशा २० वर्ष

यदी मांदी के साथ ग्रह हो तव उस ग्रहके अंशो को ३ से गुना करने से उम्र जान शकते है।

नि 1. यदी मांदी मंगल ग्रह के साथ या फीर मेष या वृश्विक इन राशी मे हो तब बुखार,अक्स्मात,जलने से या फिर या के चोट लगनेसे मृत्यु भी हो शकती है।
नि.2 यदी मांदी शनि ग्र की राशी(११,१०) मे या शनिग्रह के साथ हो या फीर द्र्ष्टी हो तब झगडे के कारण मृत्यु जाननी चाहिए
नि.3 यदी मांदीराहु के साथ या फिर द्द्ष्टी हो तब कुस उपरी बाधाए या सर्प के काटनेसे मृत्यु जाननी चाहिए।
नि.4 यदी मांदी केवल अग्नीतत्व की राशी (१,५,९,) तब अग्निसे मृत्यु जाननी चाहिए।
नि.5. यदि मांदि केवल अकेलाही जल राशी(४-८-१२) जल से मृत्यु जाननी चाहिए।
नि.6. यदी मांदि केवल अकेला ही पृथ्वी राशी(२,६,१०) मे हो तब मीट्टीमे दबने से अथवा गीरनेसे मृत्यु जाननी चाहिए।
नि.7. यदी मांदि केवल अकेला वायु राशी (३-७-११) मे हो तब सांस रूकनेसे या फासी आदि जानना चाहिए।


संबंध के बारेमे


1. ३ से भावा या तृत्येश या फीर मंगल के साथ मांदि हो तब अपने कुटुंब का ही जानना चाहिए ।
2. ४ थे भाव या चतुर्थेश या फीर चंद्र के साथ मांदि हो तब मा या फीर माता के कुटुंब का सदस्य जानना चाहिए।
3. ५ भाव या पंचमेश या फीर गुरू के साथ मांदि हो तब संतान जानना चाहिए।
4. ६ ठ्ठे भाव या छष्ठ्ठेश या फीर मंगल के साथ मांदि हो तब शत्रु या फीर मामा कुटुंब का सदस्य या अपने नोकर या साकर
5. ७ वे भाव या सप्तमेश या फीर शुक्र के साथ मांदि हो तब पत्नी या पत्नि जाननी चाहिए।
6. ९ वे भावा या नवमेश या गुरु के साथ मांदि हो तब गुरु, ब्राह्मा या ओलिया जानना चाहिए।
7. ११ वे भावा मे या लाभेश या फीर गुरू के साथ मांदि हो तब मित्र या अपना कोइ हितेषु जानना चाहिए।